Arjunkotri ( President Bajrang Dal Kotri, )
Bajrang dal kotri
Distict Ajmer ( Rajsthan ) ( India )
Mobile No. 09610502604
Email : bajrangdal.kotri@gmail.com
Formation of Bajrang DalVishva Hindu Parishad decided to start Ram-Janaki Rath yatra for awakening the society on October 1, 1984. There was nothing against other religions but certain anti-Hindu and anti-social elements threatened with dire consequences if Vishva Hindu Parishad organized this Yatra
Tuesday, 3 December 2013
मोदी 10 बार भी पीएम बन जाएं नहीं हटा पाएंगे
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 पर हो रही राजनीति को हवा दे दी है. फारूख ने मोदी और बीजेपी के बयानों पर जवाब देते हुए कहा है कि नरेंद्र मोदी 10 बार भी देश के प्रधानमंत्री बन जाएं तो भी वह 370 नहीं हटा पाएंगे.
इससे पूर्व रविवार को जम्मू रैली के दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 से राज्य को फायदा हुआ या नहीं इस पर चर्चा होनी चाहिए. बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी कह चुके हैं कि अगर अनुच्छेद-370 लाभदायक साबित हुआ तब उनकी पार्टी इसका समर्थन करेगी. मोदी की टिप्पणी को 370 को रद्द करने पर बीजेपी के रुख में नरमी के तौर पर देखा जा रहा है. वहीं, मामले को लेकर फारूख अब्दुल्ला ने कहा, 'मोदी अपनी मर्जी से बोलते हैं. बीजेपी ने अब तक इस संबंध में कोई चर्चा नहीं की है. वह जिन चर्चाओं की बात कर रहे हैं वह सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए कहा जा रहा है.'
मोदी पहले पार्टी और संघ में चर्चा कर लें: दिग्विजय
सोमवार को दिनभर विभिन्न दलों और विचारों से जुड़े लोगों ने 370 के मुद्दे पर बयानबाजी की. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, 'मैं मोदी को गंभीरता से नहीं लेता. उन्हें पहले अपनी पार्टी और संघ से इस बारे में चर्चा कर लेनी चाहिए. अनुच्छेद पर हमारा मत स्प्ष्ट है कि इस पर कोई भी कानून संसद में ही बन सकता है.' दिग्विजय सिंह ने आगे कहा, 'हमें उम्मीद है कि हम जल्द ही इस मामले को सुलझा लेंगे. इस पर कैबिनेट में चर्चा की जाएगी. तेलंगाना मामला भी लगभग समाप्ति पर है.'
सोमवार को दिनभर विभिन्न दलों और विचारों से जुड़े लोगों ने 370 के मुद्दे पर बयानबाजी की. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, 'मैं मोदी को गंभीरता से नहीं लेता. उन्हें पहले अपनी पार्टी और संघ से इस बारे में चर्चा कर लेनी चाहिए. अनुच्छेद पर हमारा मत स्प्ष्ट है कि इस पर कोई भी कानून संसद में ही बन सकता है.' दिग्विजय सिंह ने आगे कहा, 'हमें उम्मीद है कि हम जल्द ही इस मामले को सुलझा लेंगे. इस पर कैबिनेट में चर्चा की जाएगी. तेलंगाना मामला भी लगभग समाप्ति पर है.'
भाजपा अनुच्छेद 370 पर पलट रही है: तिवारी
सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने बीजेपी पर अपने रूख से पलटने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी ने 2004 के लोकसभा चुनाव के लिए जारी किए दृष्टिपत्र में अनुच्छेद 370 को खत्म करने का कोई जिक्र नहीं किया था. इसमें इसके अस्तित्व को मान्यता दी गई थी. वहीं, 2013 में वे दोहरा मानदंड अपनाना चाहते हैं. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि क्या 370 पर पलट जाना वाजपेयी जी और आडवाणी जी की विरासत में ताबूत की आखिरी कील है? वेंकैया जी, जिन्होंने दृष्टिपत्र पर हस्ताक्षर किया था उन्हें इस यूटर्न पर स्पष्टीकरण देना चाहिए.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने बीजेपी पर अपने रूख से पलटने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी ने 2004 के लोकसभा चुनाव के लिए जारी किए दृष्टिपत्र में अनुच्छेद 370 को खत्म करने का कोई जिक्र नहीं किया था. इसमें इसके अस्तित्व को मान्यता दी गई थी. वहीं, 2013 में वे दोहरा मानदंड अपनाना चाहते हैं. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि क्या 370 पर पलट जाना वाजपेयी जी और आडवाणी जी की विरासत में ताबूत की आखिरी कील है? वेंकैया जी, जिन्होंने दृष्टिपत्र पर हस्ताक्षर किया था उन्हें इस यूटर्न पर स्पष्टीकरण देना चाहिए.
देश में दो संविधान नहीं हो सकते: विहिप
मोदी द्वारा बीजेपी के रुख को नरम करने के प्रयासों को परोक्ष रूप से अस्वीकार करते हुए विहिप ने जोर दिया कि एक देश में दो संविधान नहीं हो सकते. विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर राज्य को अपना अलग संविधान रखने की अनुमति देता है. यह भारत के अंदर एक अलग देश होने की धारणा के समान है. इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता और इस अनुच्छेद को हटाया जाना चाहिए.
मोदी द्वारा बीजेपी के रुख को नरम करने के प्रयासों को परोक्ष रूप से अस्वीकार करते हुए विहिप ने जोर दिया कि एक देश में दो संविधान नहीं हो सकते. विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर राज्य को अपना अलग संविधान रखने की अनुमति देता है. यह भारत के अंदर एक अलग देश होने की धारणा के समान है. इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता और इस अनुच्छेद को हटाया जाना चाहिए.
370 पर रूबरू हो बहस करें मोदी: सोज
अनुच्छेद 370 को 'संविधान का अभिन्न' अंग बताते हुए जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज ने आज कहा कि इसमें संशोधन नहीं हो सकता. उन्होंने नरेन्द्र मोदी को इस मुद्दे पर उनसे रूबरू होकर बहस करने की भी चुनौती दी है.
अनुच्छेद 370 को 'संविधान का अभिन्न' अंग बताते हुए जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज ने आज कहा कि इसमें संशोधन नहीं हो सकता. उन्होंने नरेन्द्र मोदी को इस मुद्दे पर उनसे रूबरू होकर बहस करने की भी चुनौती दी है.
पनून कश्मीर ने किया मोदी का समर्थन किया
दूसरी ओर, विस्थापित कश्मीरी पंडितों के संगठन पनून कश्मीर ने अनुच्छेद 370 पर बहस कराने के नरेन्द्र मोदी के सुझाव का समर्थन किया है. पनून कश्मीर के अध्यक्ष अश्वनी चरूंगू ने सोमवार को कहा, 'हमारे संगठन के राजनीतिक मामलों की समिति ने अनुच्छेद 370 पर बहस को लेकर मोदी के बयान का स्वागत किया है. हम इसकी कड़ी वकालत करते हैं.' चरूंगू ने कहा कि यह स्पष्ट करने की जरूरत है कि अनुच्छेद 370 भारत के संविधान में अस्थाई प्रावधान है जिसे कभी भी स्थाई कानून नहीं बनाया जाना था.
दूसरी ओर, विस्थापित कश्मीरी पंडितों के संगठन पनून कश्मीर ने अनुच्छेद 370 पर बहस कराने के नरेन्द्र मोदी के सुझाव का समर्थन किया है. पनून कश्मीर के अध्यक्ष अश्वनी चरूंगू ने सोमवार को कहा, 'हमारे संगठन के राजनीतिक मामलों की समिति ने अनुच्छेद 370 पर बहस को लेकर मोदी के बयान का स्वागत किया है. हम इसकी कड़ी वकालत करते हैं.' चरूंगू ने कहा कि यह स्पष्ट करने की जरूरत है कि अनुच्छेद 370 भारत के संविधान में अस्थाई प्रावधान है जिसे कभी भी स्थाई कानून नहीं बनाया जाना था.
ये कश्मीर नहीं गुजरात है
‘ये कश्मीर नहीं गुजरात है , मारना हो तो मार डालो पर एक
भी गाय को हाथ नहीं लगाने देंगे
कसाइयो को नहीं छोड़ेंगे’"- DSP Gujrat Police
दौड़ा दौड़ा कर मारा गुजरात पुलिस ने कल कसाइयों को
फोटो में जो ख़ाकी वर्दी में एक शेर दिख रहा है आपको उसने 300
गायों को 49 कसाइयों से अकेले लड़कर बचाया
जब मुसल्लो ने विरोध किया और DSP के पास secularism की दुहाई
लेकर गए तो DSP ने कहा- "ये कश्मीर नहीं गुजरात है,यहाँ 1 गाय के पहले
100 कसाइयों का खून बहा देंगे"
मुह लटकाकर निकल लिए मुसल्ले वहा से
इसलिए मैं NAMO को हिन्दू शिरोमणी मानता हे
भी गाय को हाथ नहीं लगाने देंगे
कसाइयो को नहीं छोड़ेंगे’"- DSP Gujrat Police
दौड़ा दौड़ा कर मारा गुजरात पुलिस ने कल कसाइयों को
फोटो में जो ख़ाकी वर्दी में एक शेर दिख रहा है आपको उसने 300
गायों को 49 कसाइयों से अकेले लड़कर बचाया
जब मुसल्लो ने विरोध किया और DSP के पास secularism की दुहाई
लेकर गए तो DSP ने कहा- "ये कश्मीर नहीं गुजरात है,यहाँ 1 गाय के पहले
100 कसाइयों का खून बहा देंगे"
मुह लटकाकर निकल लिए मुसल्ले वहा से
इसलिए मैं NAMO को हिन्दू शिरोमणी मानता हे
Monday, 2 December 2013
न मानवाधिकार आयोग चेता, न सरकार क्योंकि वे हिन्दू हैं:विहिप पाकिस्तान से आए हिन्दुओं की दुर्दशा, आज (8/4/13) समाप्त हो रहा है वीसा
न मानवाधिकार आयोग चेता, न सरकार क्योंकि वे हिन्दू हैं:विहिप
पाकिस्तान से आए हिन्दुओं की दुर्दशा, आज (8/4/13) समाप्त हो रहा है वीसा
पाकिस्तान से आए हिन्दुओं की दुर्दशा, आज (8/4/13) समाप्त हो रहा है वीसा
नई दिल्ली। अप्रैल 7, 2013। छोटी-छोटी बातों पर संवैधानिक अधिकारों व मानवाधिकारों के उल्लंघन की दुहाई देने वाले राजनेता, मानवाधिकार वादी व समाज सेवी पता नहीं कहां चले जाते हैं जब हिन्दुओं के उत्पीडन व उनके मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन की घटनाएं होती है। पाकिस्तान में मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं के साथ कैसा बर्ताव किया जा रहा है यह किसी से छुपा नहीं है। विहिप दिल्ली के उपाध्यक्ष श्री महावीर प्रसाद गुप्ता ने आज कहा है कि पाकिस्तानी कट्टरपंथियों से अपना धर्म व जान बचाकर भारत में शरण लेने आए 480 हिन्दुओं की सहायता या नागरिक सुविधाओं की बात तो दूर केन्द्र या दिल्ली सरकार का कोई भी प्रतिनिधि आज तक जिहादी दरिंदों के सताए इन लोगों के हाल चाल तक पूछने नहीं पहुंचा है। शायद इसलिए कि वे हिन्दू हैं! और तो और, विश्व हिन्दू परिषद व दिल्ली की अन्य हिन्दू वादी संगठनों के अलावा, एक भी राजनेता, तथाकथित समाज सेवी या मानवाधिकार वादी संगठन उनके पास तक नहीं फटका है। वीसा की अवधि आज(8/4/13) को समाप्त होने जा रही है किन्तु कहीं से कोई राहत की खबर नहीं है।
विहिप दिल्ली के मीडिया प्रमुख श्री विनोद बंसल ने बताया कि पाकिस्तान से आए 480 हिन्दुओं के एक माह के वीसा की अवधि आज समाप्त होने जा रही है किन्तु किसी भी सरकारी या गैर सरकारी विभाग से कोई राहत की खबर नहीं है। इस सम्बन्ध में पिछले माह (मार्च) में ही भारत के राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री, कानून मंत्री, दिल्ली के उपराज्यपाल व मुख्यमंत्री के साथ सभी संबन्धित सरकारी विभागों सहित भारत व संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार आयोगों को भी पत्र भेजा जा चुका है किन्तु आज तक किसी के पास न तो इन पाक पीडितों का दर्द सुनने की फ़ुर्सत है और न ही किसी ऐसी कार्यवाही की जो पाकिस्तानी दरिंदगी पर अंकुश लगा सके। इन 480 लोगों में से एक छ: माह की अबोध बालिका तो भारत आने के बाद गत तीन अप्रैल को इस दुनिया से विदा ले चुकी। अब इस जत्थे में सिर्फ़ 479 ही बचे हैं। यूं तो विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, हिन्दू महा सभा, हिन्दू सेना, शिव सेना, आर्य समाज इत्यादि संगठनों के कार्यकर्ता समाज सेवी श्री नाहर सिंह द्वारा बनाए गए पाक शरणार्थी शिविर में पीडितों की मदद के लिए लगे ही हैं किन्तु क्या किसी मानवाधिकार आयोग या सरकार का कोई प्रतिनिधि भी उन लोगों की आवाज को सुनेगा जिन्होंने देश छोडा लेकिन स्वधर्म नहीं छोडा। विश्व हिन्दू परिषद दक्षिणी दिल्ली के मंत्री श्री विजय गुप्ता ने हिन्दू समाज से अपील की है कि वे अखण्ड भारत के अपने जिगर के इन टुकडों की सहायता हेतु आगे आएं तथा इनकी रोजमर्रा की जरूरतों यथा भोजन, राशन, दवाइयां, बर्तन इत्यादि की पूर्ति हेतु 09212376123, 09210110863 या 09212126309 मोबाइल नम्बरों पर संपर्क करें या 16, अम्बेडकर कालोनी बिजवासन, नई दिल्ली-110 061 के पते पर भेजें
हिन्दू धर्म
Bajrang Dal Vrindavan Workshop
हिन्दू धर्म किसी व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित किया गया नहीं है। यह पुराने समय से चले आ रहे अलग-अलग मतों और आस्थाओं से मिलकर बना है। समय के साथ-साथ इस धर्म में ऐसे नए विश्वास और मत जुड़ते गए, जो समय की कसौटी पर खरे थे। इसलिए ही हिन्दू धर्म को एक विकासशील धर्म कहा जाता है। हिन्दू धर्म के मूल तत्वों में सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा और दान मुख्य हैं और इन सबका विशेष महत्त्व है। इसलिए अपने मन, वचन और कर्म से हिंसा से दूर रहने वाले मनुष्य को हिन्दू कहा गया है। हिन्दू धर्म का इतिहास वेदकाल से भी पहले का माना गया है और वेदों की रचना 4500 ई।पू। शुरू हुई। हिन्दू इतिहास ग्रंथ महाभारत और पुराणों में मनु (जिसे धरती का पहला मानव कहा गया है) का उल्लेख किया गया है। पुराणों के अनुसार हिन्दू धर्म सृष्टि के साथ ही पैदा हुआ। पुराना और विशाल होने के चलते इसे ‘सनातन धर्म’ के नाम से भी जाना जाता है।
हिन्दू समाज गायत्री मंत्र को ईश्वर की आराधना के लिए सबसे बड़ा मंत्र मानता है जो इस प्रकार है- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् । (भावानुवाद) ओम् ईश अनादि अनंत हरे । जीवन का आधार स्वयंभू सबमें प्राण भरे । जिसका ध्यान दुखों को हरता दुख से स्वयं परे । विविध रूप जग में व्यापक प्रभु धारण सकल करे । जो उत्पन्न जगत को करके सब ऐश्वर्य भरे । शुद्ध स्वरूप ब्रह्म अविनाशी का मन वरण करे । दिव्य गुणों से आपूरित जो सुख का सृजन करे । वह जगदीश्वर बुद्धि हमारी प्रेरित सुपथ करे ।संसार में हिन्दू धर्म ही ऐसा है जो ईश्वर या परमात्मा को स्त्रीवाचक शब्दों जैसे सरस्वती माता, दुर्गा माता, काली मैया, लक्ष्मी माता से भी संबोधित करता है । वही हमारा पिता है, वही हमारी माता है (त्वमेव माता च पिता त्वमेव) । हम कहते हैं राधे-कृष्ण, सीता-राम अर्थात् स्त्रीवाचक शब्द का प्रयोग पहले । भारतभूमि भारतमाता है । पशुओं में भी गाय गो माता है किन्तु बैल पिता नहीं है । हिन्दुओं में ‘ओम् जय जगदीश हरे’ या ‘ॐ नम: शिवाय’ का जितना उद्घोष होता है उतना ही ‘जय माता की’ का भी । स्त्रीत्व को अत्यधिक आदर प्रदान करना हिन्दू जीवन पद्धति के महत्त्वपूर्ण मूल्यों में से एक है । कहा गया है :- यत्र नार्यस्तु पू..ब्रह्माण्ड का जो भी स्वरूप है वही ब्रह्म का रूप या शरीर है । वह अनादि है, अनन्त है । जैसे प्राण का शरीर में निवास है वैसे ही ब्रह्म का अपने शरीर या ब्रह्माण्ड में निवास है । वह कण-कण में व्याप्त है, अक्षर है, अविनाशी है, अगम है, अगोचर है, शाश्वत है । ब्रह्म के प्रकट होने के चार स्तर हैं - ब्रह्म, ईश्वर, हिरण्यगर्भ एवं विराट (विराज) । भौतिक संसार विराट है, बुद्धि का संसार हिरण्यगर्भ है, मन का संसार श्वर है तथा सर्वव्यापी चेतना का संसार ब्रह्म है । ‘सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म’ अर्थात् ब्रह्म सत्य और अनन्त ज्ञान-स्वरूप है । इस विश्वातीत रूप में वह उपाधियों से रहित होकर निर्गुण ब्रह्म या परब्रह्म कह.
Bajrang Dal Vrindavan Workshop
हिन्दू धर्म किसी व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित किया गया नहीं है। यह पुराने समय से चले आ रहे अलग-अलग मतों और आस्थाओं से मिलकर बना है। समय के साथ-साथ इस धर्म में ऐसे नए विश्वास और मत जुड़ते गए, जो समय की कसौटी पर खरे थे। इसलिए ही हिन्दू धर्म को एक विकासशील धर्म कहा जाता है। हिन्दू धर्म के मूल तत्वों में सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा और दान मुख्य हैं और इन सबका विशेष महत्त्व है। इसलिए अपने मन, वचन और कर्म से हिंसा से दूर रहने वाले मनुष्य को हिन्दू कहा गया है। हिन्दू धर्म का इतिहास वेदकाल से भी पहले का माना गया है और वेदों की रचना 4500 ई।पू। शुरू हुई। हिन्दू इतिहास ग्रंथ महाभारत और पुराणों में मनु (जिसे धरती का पहला मानव कहा गया है) का उल्लेख किया गया है। पुराणों के अनुसार हिन्दू धर्म सृष्टि के साथ ही पैदा हुआ। पुराना और विशाल होने के चलते इसे ‘सनातन धर्म’ के नाम से भी जाना जाता है।
हिन्दू समाज गायत्री मंत्र को ईश्वर की आराधना के लिए सबसे बड़ा मंत्र मानता है जो इस प्रकार है- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् । (भावानुवाद) ओम् ईश अनादि अनंत हरे । जीवन का आधार स्वयंभू सबमें प्राण भरे । जिसका ध्यान दुखों को हरता दुख से स्वयं परे । विविध रूप जग में व्यापक प्रभु धारण सकल करे । जो उत्पन्न जगत को करके सब ऐश्वर्य भरे । शुद्ध स्वरूप ब्रह्म अविनाशी का मन वरण करे । दिव्य गुणों से आपूरित जो सुख का सृजन करे । वह जगदीश्वर बुद्धि हमारी प्रेरित सुपथ करे ।संसार में हिन्दू धर्म ही ऐसा है जो ईश्वर या परमात्मा को स्त्रीवाचक शब्दों जैसे सरस्वती माता, दुर्गा माता, काली मैया, लक्ष्मी माता से भी संबोधित करता है । वही हमारा पिता है, वही हमारी माता है (त्वमेव माता च पिता त्वमेव) । हम कहते हैं राधे-कृष्ण, सीता-राम अर्थात् स्त्रीवाचक शब्द का प्रयोग पहले । भारतभूमि भारतमाता है । पशुओं में भी गाय गो माता है किन्तु बैल पिता नहीं है । हिन्दुओं में ‘ओम् जय जगदीश हरे’ या ‘ॐ नम: शिवाय’ का जितना उद्घोष होता है उतना ही ‘जय माता की’ का भी । स्त्रीत्व को अत्यधिक आदर प्रदान करना हिन्दू जीवन पद्धति के महत्त्वपूर्ण मूल्यों में से एक है । कहा गया है :- यत्र नार्यस्तु पू..ब्रह्माण्ड का जो भी स्वरूप है वही ब्रह्म का रूप या शरीर है । वह अनादि है, अनन्त है । जैसे प्राण का शरीर में निवास है वैसे ही ब्रह्म का अपने शरीर या ब्रह्माण्ड में निवास है । वह कण-कण में व्याप्त है, अक्षर है, अविनाशी है, अगम है, अगोचर है, शाश्वत है । ब्रह्म के प्रकट होने के चार स्तर हैं - ब्रह्म, ईश्वर, हिरण्यगर्भ एवं विराट (विराज) । भौतिक संसार विराट है, बुद्धि का संसार हिरण्यगर्भ है, मन का संसार श्वर है तथा सर्वव्यापी चेतना का संसार ब्रह्म है । ‘सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म’ अर्थात् ब्रह्म सत्य और अनन्त ज्ञान-स्वरूप है । इस विश्वातीत रूप में वह उपाधियों से रहित होकर निर्गुण ब्रह्म या परब्रह्म कह.
हिन्दू जवाब दे दें तो उसे
मुसलमान शुरुआत करें तो उसे "शरारत" कहते हैं |
(गोधरा)
हिन्दू जवाब दे दें तो उसे दंगा कहते हैं | (गुजरात)
जिस देश में ये लगातार होता रहे उसे सेकुलर
इंडिया कहते हैं |
वो करे तो जेहाद.!! और हम करे तो फसाद ..?
ज़ुल्म की पहचान मिटा के रख दें हिन्दू ...
चाहे तो कोहराम मचा के रख दें हिन्दू ..
अभी सूखे पत्तो की तरह बिखरे है हम हिन्दू ..
अगर हो जाये एक तो दुनिया हिला के रख दें
हिन्दू .!!!
Sunday, 1 December 2013
इन बातो को बार बार गौर करे..
निम्नलिखित बातें माता के गर्भ में ही निश्चित हो जाती है....
१. व्यक्ति कितने साल जियेगा २. वह किस प्रकार का काम करेगा ३. उसके पास कितनी संपत्ति होगी ४. उसकी मृत्यु कब होगी .
These five: the life span, the type of work, wealth, learning and the time of one's death
are determined while one is in the womb.
पुत्र , मित्र, सगे सम्बन्धी साधुओं को देखकर दूर भागते है, लेकिन जो लोग साधुओं का अनुशरण करते है उनमे भक्ति जागृत होती है और उनके उस पुण्य से उनका सारा कुल धन्य हो जाता है .
Offspring, friends and relatives flee from a devotee of the Lord: yet those who follow him bring merit to their families through their devotion.
जैसे मछली दृष्टी से, कछुआ ध्यान देकर और पंछी स्पर्श करके अपने बच्चो को पालते है, वैसे ही संतजन पुरुषों की संगती मनुष्य का पालन पोषण करती है.
Fish, tortoises, and birds bring up their young by means of sight, attention and touch; so do saintly men afford protection to their associates by the same means.
जब आपका शरीर स्वस्थ है और आपके नियंत्रण में है उसी समय आत्मसाक्षात्कार का उपाय कर लेना चाहिए क्योंकि मृत्यु हो जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता है.
As long as your body is healthy and under control and death is distant, try to save your soul; when death is imminent what can you do?
विद्या अर्जन करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है. वह विदेश में माता के समान रक्षक अवं हितकारी होती है. इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है.
Learning is like a cow of desire. It, like her, yields in all seasons. Like a mother, it feeds you on your journey. Therefore learning is a hidden treasure.
सैकड़ों गुणरहित पुत्रों से अच्छा एक गुणी पुत्र है क्योंकि एक चन्द्रमा ही रात्रि के अन्धकार को भगाता है, असंख्य तारे यह काम नहीं करते.
A single son endowed with good qualities is far better than a hundred devoid of them. For the moon, though one, dispels the darkness, which the stars, though numerous, cannot.
एक ऐसा बालक जो जन्मते वक़्त मृत था, एक मुर्ख दीर्घायु बालक से बेहतर है. पहला बालक तो एक क्षण के लिए दुःख देता है, दूसरा बालक उसके माँ बाप को जिंदगी भर दुःख की अग्नि में जलाता है.
A stillborn son is superior to a foolish son endowed with a long life. The first causes grief for but a moment while the latter like a blazing fire consumes his parents in grief for life.
निम्नलिखित बाते व्यक्ति को बिना आग के ही जलाती है...
१. एक छोटे गाव में बसना जहा रहने की सुविधाए उपलब्ध नहीं.
२. एक ऐसे व्यक्ति के यहाँ नौकरी करना जो नीच कुल में पैदा हुआ है.
३. अस्वास्थय्वर्धक भोजन का सेवन करना.
४. जिसकी पत्नी हरदम गुस्से में होती है.
५. जिसको मुर्ख पुत्र है.
६. जिसकी पुत्री विधवा हो गयी है.
Residing in a small village devoid of proper living facilities, serving a person born of a low family, unwholesome food, a frowning wife, a foolish son, and a widowed daughter burn the body without fire.
वह गाय किस काम की जो ना तो दूध देती है ना तो बच्चे को जन्म देती है. उसी प्रकार उस बच्चे का जन्म किस काम का जो ना ही विद्वान हुआ ना ही भगवान् का भक्त हुआ.
What good is a cow that neither gives milk nor conceives? Similarly, what is the value of the birth of a son if he becomes neither learned nor a pure devotee of the Lord?
जब व्यक्ति जीवन के दुःख से झुलसता है उसे निम्नलिखित ही सहारा देते है...
१. पुत्र और पुत्री २. पत्नी ३. भगवान् के भक्त.
When one is consumed by the sorrows of life, three things give him relief: offspring, a wife, and the company of the Lord's devotees.
यह बाते एक बार ही होनी चाहिए..
१. राजा का बोलना.
२. बिद्वान व्यक्ति का बोलना.
३. लड़की का ब्याहना.
Kings speak for once, men of learning once, and the daughter is given in marriage once. All these things happen once and only once.
जब आप तप करते है तो अकेले करे.
अभ्यास करते है तो दुसरे के साथ करे.
गायन करते है तो तीन लोग करे.
कृषि चार लोग करे.
युद्ध अनेक लोग मिलकर करे.
Religious austerities should be practiced alone, study by two, and singing by three. A journey should be undertaken by four, agriculture by five, and war by many together.
वही अच्छी पत्नी है जो शुचिपूर्ण है, पारंगत है, शुद्ध है, पति को प्रसन्न करने वाली है और सत्यवादी है.
She is a true wife who is clean (suci), expert, chaste, pleasing to the husband, and truthful.
जिस व्यक्ति के पुत्र नहीं है उसका घर उजाड़ है. जिसे कोई सम्बन्धी नहीं है उसकी सभी दिशाए उजाड़ है. मुर्ख व्यक्ति का ह्रदय उजाड़ है. निर्धन व्यक्ति का सब कुछ उजाड़ है.
The house of a childless person is a void, all directions are void to one who has no relatives, the heart of a fool is also void, but to a poverty-stricken man all is void.
जिस अध्यात्मिक सीख का आचरण नहीं किया जाता वह जहर है. जिसका पेट ख़राब है उसके लिए भोजन जहर है. निर्धन व्यक्ति के लिए लोगो का किसी सामाजिक या व्यक्तिगत कार्यक्रम में एकत्र होना जहर है.
Scriptural lessons not put into practice are poison; a meal is poison to him who suffers from indigestion; a social gathering is poison to a poverty-stricken person; and a young wife is poison to an aged man.
जिस व्यक्ति के पास धर्म और दया नहीं है उसे दूर करो. जिस गुरु के पास अध्यात्मिक ज्ञान नहीं है उसे दूर करो. जिस पत्नी के चेहरे पर हरदम घृणा है उसे दूर करो. जिन रिश्तेदारों के पास प्रेम नहीं उन्हें दूर करो.
That man who is without religion and mercy should be rejected. A guru without spiritual knowledge should be rejected. The wife with an offensive face should be given up, and so should relatives who are without affection.
सतत भ्रमण करना व्यक्ति को बूढ़ा बना देता है. यदि घोड़े को हरदम बांध कर रखते है तो वह बूढा हो जाता है. यदि स्त्री उसके पति के साथ प्रणय नहीं करती हो तो बुढी हो जाती है. धुप में रखने से कपडे पुराने हो जाते है.
Constant travel brings old age upon a man; a horse becomes old by being constantly tied up; lack of sexual contact with her husband brings old age upon a woman; and garments become old through being left in the sun.
इन बातो को बार बार गौर करे...
सही समय
सही मित्र
सही ठिकाना
पैसे कमाने के सही साधन
पैसे खर्चा करने के सही तरीके
आपके उर्जा स्रोत.
Consider again and again the following: the right time, the right friends, the right place, the right means of income, the right ways of spending, and from whom you derive your power.
द्विज अग्नि में भगवान् देखते है.
भक्तो के ह्रदय में परमात्मा का वास होता है.
जो अल्प मति के लोग है वो मूर्ति में भगवान् देखते है.
लेकिन जो व्यापक दृष्टी रखने वाले लोग है, वो यह जानते है की भगवान सर्व व्यापी है.
For the twice born the fire (Agni) is a representative of God. The Supreme Lord resides in the heart of His devotees. Those of average intelligence (alpa-buddhi or kanista-adhikari) see God only in His sri-murti, but those of broad vision see the Supreme Lord everywhere.
१. व्यक्ति कितने साल जियेगा २. वह किस प्रकार का काम करेगा ३. उसके पास कितनी संपत्ति होगी ४. उसकी मृत्यु कब होगी .
These five: the life span, the type of work, wealth, learning and the time of one's death
are determined while one is in the womb.
पुत्र , मित्र, सगे सम्बन्धी साधुओं को देखकर दूर भागते है, लेकिन जो लोग साधुओं का अनुशरण करते है उनमे भक्ति जागृत होती है और उनके उस पुण्य से उनका सारा कुल धन्य हो जाता है .
Offspring, friends and relatives flee from a devotee of the Lord: yet those who follow him bring merit to their families through their devotion.
जैसे मछली दृष्टी से, कछुआ ध्यान देकर और पंछी स्पर्श करके अपने बच्चो को पालते है, वैसे ही संतजन पुरुषों की संगती मनुष्य का पालन पोषण करती है.
Fish, tortoises, and birds bring up their young by means of sight, attention and touch; so do saintly men afford protection to their associates by the same means.
जब आपका शरीर स्वस्थ है और आपके नियंत्रण में है उसी समय आत्मसाक्षात्कार का उपाय कर लेना चाहिए क्योंकि मृत्यु हो जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता है.
As long as your body is healthy and under control and death is distant, try to save your soul; when death is imminent what can you do?
विद्या अर्जन करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है. वह विदेश में माता के समान रक्षक अवं हितकारी होती है. इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है.
Learning is like a cow of desire. It, like her, yields in all seasons. Like a mother, it feeds you on your journey. Therefore learning is a hidden treasure.
A single son endowed with good qualities is far better than a hundred devoid of them. For the moon, though one, dispels the darkness, which the stars, though numerous, cannot.
एक ऐसा बालक जो जन्मते वक़्त मृत था, एक मुर्ख दीर्घायु बालक से बेहतर है. पहला बालक तो एक क्षण के लिए दुःख देता है, दूसरा बालक उसके माँ बाप को जिंदगी भर दुःख की अग्नि में जलाता है.
A stillborn son is superior to a foolish son endowed with a long life. The first causes grief for but a moment while the latter like a blazing fire consumes his parents in grief for life.
निम्नलिखित बाते व्यक्ति को बिना आग के ही जलाती है...
१. एक छोटे गाव में बसना जहा रहने की सुविधाए उपलब्ध नहीं.
२. एक ऐसे व्यक्ति के यहाँ नौकरी करना जो नीच कुल में पैदा हुआ है.
३. अस्वास्थय्वर्धक भोजन का सेवन करना.
४. जिसकी पत्नी हरदम गुस्से में होती है.
५. जिसको मुर्ख पुत्र है.
६. जिसकी पुत्री विधवा हो गयी है.
Residing in a small village devoid of proper living facilities, serving a person born of a low family, unwholesome food, a frowning wife, a foolish son, and a widowed daughter burn the body without fire.
वह गाय किस काम की जो ना तो दूध देती है ना तो बच्चे को जन्म देती है. उसी प्रकार उस बच्चे का जन्म किस काम का जो ना ही विद्वान हुआ ना ही भगवान् का भक्त हुआ.
What good is a cow that neither gives milk nor conceives? Similarly, what is the value of the birth of a son if he becomes neither learned nor a pure devotee of the Lord?
१. पुत्र और पुत्री २. पत्नी ३. भगवान् के भक्त.
When one is consumed by the sorrows of life, three things give him relief: offspring, a wife, and the company of the Lord's devotees.
यह बाते एक बार ही होनी चाहिए..
१. राजा का बोलना.
२. बिद्वान व्यक्ति का बोलना.
३. लड़की का ब्याहना.
Kings speak for once, men of learning once, and the daughter is given in marriage once. All these things happen once and only once.
जब आप तप करते है तो अकेले करे.
अभ्यास करते है तो दुसरे के साथ करे.
गायन करते है तो तीन लोग करे.
कृषि चार लोग करे.
युद्ध अनेक लोग मिलकर करे.
Religious austerities should be practiced alone, study by two, and singing by three. A journey should be undertaken by four, agriculture by five, and war by many together.
वही अच्छी पत्नी है जो शुचिपूर्ण है, पारंगत है, शुद्ध है, पति को प्रसन्न करने वाली है और सत्यवादी है.
She is a true wife who is clean (suci), expert, chaste, pleasing to the husband, and truthful.
जिस व्यक्ति के पुत्र नहीं है उसका घर उजाड़ है. जिसे कोई सम्बन्धी नहीं है उसकी सभी दिशाए उजाड़ है. मुर्ख व्यक्ति का ह्रदय उजाड़ है. निर्धन व्यक्ति का सब कुछ उजाड़ है.
The house of a childless person is a void, all directions are void to one who has no relatives, the heart of a fool is also void, but to a poverty-stricken man all is void.
जिस अध्यात्मिक सीख का आचरण नहीं किया जाता वह जहर है. जिसका पेट ख़राब है उसके लिए भोजन जहर है. निर्धन व्यक्ति के लिए लोगो का किसी सामाजिक या व्यक्तिगत कार्यक्रम में एकत्र होना जहर है.
Scriptural lessons not put into practice are poison; a meal is poison to him who suffers from indigestion; a social gathering is poison to a poverty-stricken person; and a young wife is poison to an aged man.
जिस व्यक्ति के पास धर्म और दया नहीं है उसे दूर करो. जिस गुरु के पास अध्यात्मिक ज्ञान नहीं है उसे दूर करो. जिस पत्नी के चेहरे पर हरदम घृणा है उसे दूर करो. जिन रिश्तेदारों के पास प्रेम नहीं उन्हें दूर करो.
That man who is without religion and mercy should be rejected. A guru without spiritual knowledge should be rejected. The wife with an offensive face should be given up, and so should relatives who are without affection.
सतत भ्रमण करना व्यक्ति को बूढ़ा बना देता है. यदि घोड़े को हरदम बांध कर रखते है तो वह बूढा हो जाता है. यदि स्त्री उसके पति के साथ प्रणय नहीं करती हो तो बुढी हो जाती है. धुप में रखने से कपडे पुराने हो जाते है.
Constant travel brings old age upon a man; a horse becomes old by being constantly tied up; lack of sexual contact with her husband brings old age upon a woman; and garments become old through being left in the sun.
इन बातो को बार बार गौर करे...
सही समय
सही मित्र
सही ठिकाना
पैसे कमाने के सही साधन
पैसे खर्चा करने के सही तरीके
आपके उर्जा स्रोत.
Consider again and again the following: the right time, the right friends, the right place, the right means of income, the right ways of spending, and from whom you derive your power.
द्विज अग्नि में भगवान् देखते है.
भक्तो के ह्रदय में परमात्मा का वास होता है.
जो अल्प मति के लोग है वो मूर्ति में भगवान् देखते है.
लेकिन जो व्यापक दृष्टी रखने वाले लोग है, वो यह जानते है की भगवान सर्व व्यापी है.
For the twice born the fire (Agni) is a representative of God. The Supreme Lord resides in the heart of His devotees. Those of average intelligence (alpa-buddhi or kanista-adhikari) see God only in His sri-murti, but those of broad vision see the Supreme Lord everywhere.
Saturday, 30 November 2013
अजमेर मे मोदी जी का स्वागत
आज देखता हू कौन कौन इससे शेयर करता है ,सभी लोग शेयर करे और हमारे गौ माँ और भारत की संस्कृति को बचाइए ,
जो लोग बस शर्म के कारन या यह समझ कर शेयर नहीं करेंगे की देखो ये समप्रदैकता(communal) बड़ा रहा है तो इनकी सोच और जिंदगी पर थू है
गौ माँ भारत की संस्कृति है —
तुम हमारे गौ माता को काटो खाव और हम चुप रहे ऐसा थोड़ी हो सकता है हम कायर सनातनी हिन्दू नहीं है जो तुम्हे भाई बोले कायर हिंदुवो की तरह
तुम हमारे धर्म का सम्मान नहीं करोगे तो हम कैसे तुम्हारे धर्म का सम्मान करे
माफ़ करना दोस्तों जो गौ माता के हत्यारे है मै कभी भी उनको अपना भाई नहीं मान सकता हु वो मेरे दुश्मन ही रहेंगे
किउ की मेरा धर्म यही सिखाता है की अपनी माँ के हत्याओ को छोड़ना नहीं और गौ माँ की रक्षा करो
जय गौ माता
सुना है कि आज बकरीद है और इससे विश्व मेँ शान्ति का सन्देश दिया जाता है।
धन्य हो इस प्रकार की शान्ति का जिसमेँ ये मुसलमान बेचारी बकरियोँ और गायोँ की हत्या करते हैँ।
इनकी ईद इनको ही मुबारक हो।
चीन के आगे भारत घुटने टेकने को तैयार: अरुणाचल के बदले अक्साई चिन देने पर राजी ??
क्या चीन के आगे भारत घुटने टेकने को तैयार है? यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि भारत का विदेश मंत्रालय अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन के दबाव के झुकता नजर आ रहा है।
विदेश मंत्रालय अरुणाचल प्रदेश को भारत के हिस्से के तौर पर चीन की मान्यता दिलवाने के लिए इतना छटपटा रहा है कि उसने इसके बदले अक्साई चिन पर भारत का दावा छोड़ने के संकेत दिए हैं। इसका मतलब यह हुआ है कि अगर चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा छोड़ दे तो भारत अक्साई चिन पर ऐसा ही करने को सैद्धांतिक तौर पर तैयार हो रहा है। लेकिन यह फॉर्मूला अभी विदेश मंत्रालय की मेज पर ही है और सरकार के शीर्ष लोगों ने इस पर मंथन नहीं शुरू किया है।
अरुणाचल प्रदेश पर चीन लंबे समय से नजर गड़ाए हुए है और इसी क्षेत्र को लेकर भारत पर दबाव बनाता रहा है। भारत औपचारिक तौर पर तो यह कहता रहा है कि भारत अपनी जमीन छोड़ने को किसी कीमत पर तैयार नहीं है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि बंद दरवाजों के पीछे समझौते की मेज पर भारत ने चीन से कह दिया है कि वह जैसी स्थिति है, वैसी ही रहने देने को तैयार है। इसका मतलब यह हुआ कि अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किलोमीटर इलाके पर चीन अपना दावा छोड़ दे और भारत जम्मू-कश्मीर के 38 हजार वर्ग किलोमीटर इलाके पर अपना दावा छोड़ दे। जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में इसी इलाके अक्साई चिन कहा जाता है। यह क्षेत्र तब से विवाद में है जब से पाकिस्तान ने इस पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा कर लिया था और उसे 1963 में चीन को सौंप दिया था।
Thursday, 28 November 2013
हिन्दू
● मै मोदी को इसलिए PM बनाना चाहता हु ...ताकि मेरे देश में गौ कत्लखाने बंद हो ।
● मै मोदी को इसलिए PM बनाना चाहता हु ....ताकि कश्मीर भरात का हिस्सा बने ।
● मै मोदी को इसलिए PM बनाना चाहता हु ....ताकि देश से 6करोड़ बांग्लादेशियो को निकाल सकू ।
● मै मोदी को इसलिए PM बनाना चाहता हु ...ताकि वो देश में अतंकवादियो को ढून्ढ-ढून्ढ के मरवा दे ।
● मै मोदी को इसलिए PM बनाना चाहता हु ...ताकि मै दवूद इब्राहीम , हाफिज सईद, अबू जिंदाल जैसे आतंकियों को फंसी पर लटकता देखू ।
● मै मोदी को इसलिए PM बनाना चाहता हु .....ताकि हमारी भारतीय सेना मजबूत हो और हमारे देशमें ही हथियार बने ।
● मै मोदी को इसलिए PM बनाना चाहता हु ....ताकि भारत में विकाश हो ।
● मै मोदी को इसलिए PM बनाना चाहता हु ....ताकि अच्छे कानून बने
Wednesday, 20 November 2013
श्री शिव चालीसा
।।दोहा।। श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
श्री हनुमान चालीसा
।।दोहा।। श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार |
बरनौ रघुवर बिमल जसु , जो दायक फल चारि |
बुद्धिहीन तनु जानि के , सुमिरौ पवन कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार ||
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर |
रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवन सुत नामा ||
महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी |
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कान्हन कुण्डल कुंचित केसा ||
हाथ ब्रज औ ध्वजा विराजे कान्धे मूंज जनेऊ साजे |
शंकर सुवन केसरी नन्दन तेज प्रताप महा जग बन्दन ||
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर |
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया रामलखन सीता मन बसिया ||
सूक्ष्म रूप धरि सियंहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा |
भीम रूप धरि असुर संहारे रामचन्द्र के काज सवारे ||
लाये सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये |
रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत सम भाई ||
सहस बदन तुम्हरो जस गावें अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावें |
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ||
जम कुबेर दिगपाल कहाँ ते कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते |
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ||
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना लंकेश्वर भये सब जग जाना |
जुग सहस्र जोजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फल जानु ||
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख मांहि जलधि लाँघ गये अचरज नाहिं |
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||
राम दुवारे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे |
सब सुख लहे तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहें को डरना ||
आपन तेज सम्हारो आपे तीनों लोक हाँक ते काँपे |
भूत पिशाच निकट नहीं आवें महाबीर जब नाम सुनावें ||
नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा |
संकट ते हनुमान छुड़ावें मन क्रम बचन ध्यान जो लावें ||
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा |
और मनोरथ जो कोई लावे सोई अमित जीवन फल पावे ||
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा |
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ||
तुम्हरे भजन राम को पावें जनम जनम के दुख बिसरावें |
अन्त काल रघुबर पुर जाई जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ||
और देवता चित्त न धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई |
संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरन्तर हनुमत बलबीरा ||
जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करो गुरुदेव की नाईं |
जो सत बार पाठ कर कोई छूटई बन्दि महासुख होई ||
जो यह पाठ पढे हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा |
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ||
।।दोहा।। पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप |
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ||
बरनौ रघुवर बिमल जसु , जो दायक फल चारि |
बुद्धिहीन तनु जानि के , सुमिरौ पवन कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार ||
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर |
रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवन सुत नामा ||
महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी |
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कान्हन कुण्डल कुंचित केसा ||
हाथ ब्रज औ ध्वजा विराजे कान्धे मूंज जनेऊ साजे |
शंकर सुवन केसरी नन्दन तेज प्रताप महा जग बन्दन ||
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर |
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया रामलखन सीता मन बसिया ||
सूक्ष्म रूप धरि सियंहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा |
भीम रूप धरि असुर संहारे रामचन्द्र के काज सवारे ||
लाये सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये |
रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत सम भाई ||
सहस बदन तुम्हरो जस गावें अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावें |
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ||
जम कुबेर दिगपाल कहाँ ते कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते |
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ||
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना लंकेश्वर भये सब जग जाना |
जुग सहस्र जोजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फल जानु ||
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख मांहि जलधि लाँघ गये अचरज नाहिं |
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||
राम दुवारे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे |
सब सुख लहे तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहें को डरना ||
आपन तेज सम्हारो आपे तीनों लोक हाँक ते काँपे |
भूत पिशाच निकट नहीं आवें महाबीर जब नाम सुनावें ||
नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा |
संकट ते हनुमान छुड़ावें मन क्रम बचन ध्यान जो लावें ||
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा |
और मनोरथ जो कोई लावे सोई अमित जीवन फल पावे ||
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा |
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ||
तुम्हरे भजन राम को पावें जनम जनम के दुख बिसरावें |
अन्त काल रघुबर पुर जाई जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ||
और देवता चित्त न धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई |
संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरन्तर हनुमत बलबीरा ||
जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करो गुरुदेव की नाईं |
जो सत बार पाठ कर कोई छूटई बन्दि महासुख होई ||
जो यह पाठ पढे हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा |
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ||
।।दोहा।। पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप |
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ||
Tuesday, 19 November 2013
हिन्दू
मुसलमान शुरुआत करें तो उसे "शरारत" कहते हैं |
(गोधरा)
हिन्दू जवाब दे दें तो उसे दंगा कहते हैं | (गुजरात)
जिस देश में ये लगातार होता रहे उसे सेकुलर
इंडिया कहते हैं |
वो करे तो जेहाद.!! और हम करे तो फसाद ..?
ज़ुल्म की पहचान मिटा के रख दें हिन्दू ...
चाहे तो कोहराम मचा के रख दें हिन्दू ..
अभी सूखे पत्तो की तरह बिखरे है हम हिन्दू ..
अगर हो जाये एक तो दुनिया हिला के रख दें
हिन्दू .!!!
(गोधरा)
हिन्दू जवाब दे दें तो उसे दंगा कहते हैं | (गुजरात)
जिस देश में ये लगातार होता रहे उसे सेकुलर
इंडिया कहते हैं |
वो करे तो जेहाद.!! और हम करे तो फसाद ..?
ज़ुल्म की पहचान मिटा के रख दें हिन्दू ...
चाहे तो कोहराम मचा के रख दें हिन्दू ..
अभी सूखे पत्तो की तरह बिखरे है हम हिन्दू ..
अगर हो जाये एक तो दुनिया हिला के रख दें
हिन्दू .!!!
Bajrang Dal Vrindavan Workshop
हिन्दू धर्म किसी व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित किया गया नहीं है। यह पुराने समय से चले आ रहे अलग-अलग मतों और आस्थाओं से मिलकर बना है। समय के साथ-साथ इस धर्म में ऐसे नए विश्वास और मत जुड़ते गए, जो समय की कसौटी पर खरे थे। इसलिए ही हिन्दू धर्म को एक विकासशील धर्म कहा जाता है। हिन्दू धर्म के मूल तत्वों में सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा और दान मुख्य हैं और इन सबका विशेष महत्त्व है। इसलिए अपने मन, वचन और कर्म से हिंसा से दूर रहने वाले मनुष्य को हिन्दू कहा गया है। हिन्दू धर्म का इतिहास वेदकाल से भी पहले का माना गया है और वेदों की रचना 4500 ई।पू। शुरू हुई। हिन्दू इतिहास ग्रंथ महाभारत और पुराणों में मनु (जिसे धरती का पहला मानव कहा गया है) का उल्लेख किया गया है। पुराणों के अनुसार हिन्दू धर्म सृष्टि के साथ ही पैदा हुआ। पुराना और विशाल होने के चलते इसे ‘सनातन धर्म’ के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू समाज गायत्री मंत्र को ईश्वर की आराधना के लिए सबसे बड़ा मंत्र मानता है जो इस प्रकार है- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् । (भावानुवाद) ओम् ईश अनादि अनंत हरे । जीवन का आधार स्वयंभू सबमें प्राण भरे । जिसका ध्यान दुखों को हरता दुख से स्वयं परे । विविध रूप जग में व्यापक प्रभु धारण सकल करे । जो उत्पन्न जगत को करके सब ऐश्वर्य भरे । शुद्ध स्वरूप ब्रह्म अविनाशी का मन वरण करे । दिव्य गुणों से आपूरित जो सुख का सृजन करे । वह जगदीश्वर बुद्धि हमारी प्रेरित सुपथ करे । |
हिन्दू
मुसलमान शुरुआत करें तो उसे "शरारत" कहते हैं |
(गोधरा)
हिन्दू जवाब दे दें तो उसे दंगा कहते हैं | (गुजरात)
जिस देश में ये लगातार होता रहे उसे सेकुलर
इंडिया कहते हैं |
वो करे तो जेहाद.!! और हम करे तो फसाद ..?
ज़ुल्म की पहचान मिटा के रख दें हिन्दू ...
चाहे तो कोहराम मचा के रख दें हिन्दू ..
अभी सूखे पत्तो की तरह बिखरे है हम हिन्दू ..
अगर हो जाये एक तो दुनिया हिला के रख दें
हिन्दू .!!!
करते जो देश की रक्षा हैं, उनको शत नमन हमारा है।
हे वीर देश के वीर सपूत, दुश्मन नेँ हमेँ ललकारा है,
दिखा दो इन कुत्तो को ये हिन्दुस्तान हमारा है।
(गोधरा)
हिन्दू जवाब दे दें तो उसे दंगा कहते हैं | (गुजरात)
जिस देश में ये लगातार होता रहे उसे सेकुलर
इंडिया कहते हैं |
वो करे तो जेहाद.!! और हम करे तो फसाद ..?
ज़ुल्म की पहचान मिटा के रख दें हिन्दू ...
चाहे तो कोहराम मचा के रख दें हिन्दू ..
अभी सूखे पत्तो की तरह बिखरे है हम हिन्दू ..
अगर हो जाये एक तो दुनिया हिला के रख दें
हिन्दू .!!!
करते जो देश की रक्षा हैं, उनको शत नमन हमारा है।
हे वीर देश के वीर सपूत, दुश्मन नेँ हमेँ ललकारा है,
दिखा दो इन कुत्तो को ये हिन्दुस्तान हमारा है।
Bajrang Dal Vrindavan Workshop
हिन्दू धर्म किसी व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित किया गया नहीं है। यह पुराने समय से चले आ रहे अलग-अलग मतों और आस्थाओं से मिलकर बना है। समय के साथ-साथ इस धर्म में ऐसे नए विश्वास और मत जुड़ते गए, जो समय की कसौटी पर खरे थे। इसलिए ही हिन्दू धर्म को एक विकासशील धर्म कहा जाता है। हिन्दू धर्म के मूल तत्वों में सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा और दान मुख्य हैं और इन सबका विशेष महत्त्व है। इसलिए अपने मन, वचन और कर्म से हिंसा से दूर रहने वाले मनुष्य को हिन्दू कहा गया है। हिन्दू धर्म का इतिहास वेदकाल से भी पहले का माना गया है और वेदों की रचना 4500 ई।पू। शुरू हुई। हिन्दू इतिहास ग्रंथ महाभारत और पुराणों में मनु (जिसे धरती का पहला मानव कहा गया है) का उल्लेख किया गया है। पुराणों के अनुसार हिन्दू धर्म सृष्टि के साथ ही पैदा हुआ। पुराना और विशाल होने के चलते इसे ‘सनातन धर्म’ के नाम से भी जाना जाता है।
|
Monday, 11 November 2013
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा
PHOTOS
PREVIOUSNEXT
PREVIOUSNEXT
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा
हम डरते नहीं एटम बम्ब, विस्फोटक जलपोतो से
हम डरते है ताशकंद और शिमला जैसे समझोतों से
सियार भेडिए से डर सकती सिंहो की औलाद नहीं
भरत वंश के इस पानी की है तुमको पहचान नहीं
भीख में लेकर एटम बम्ब को तुम किस बात पे फूल गए
६५, ७१ और ९९ के युधो को शायद तुम भूल गए
तुम याद करो खेतरपाल ने पेटन टैंक जला डाला
गुरु गोबिंद के बाज शेखो ने अमरीकी जेट उड़ा डाला
तुम याद करो गाजी का बेडा एक झटके में ही डूबा दिया
ढाका के जनरल नियाजी को दुद्ध छटी को पिला दिया
तुम याद करो उन ९०००० बंदी पाक जवानो को
तुम याद करो शिमला समझोता और भारत के एहसानों को
पाकिस्तान ये कान खोलकर सुन ले
की अबके जंग छिड़ी तो सुन ले
नमो निशान नहीं होगा
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा
लाल कर दिया तुमने लहू से श्रीनगर की घाटी को
किस गफलत में छेड़ रहे तुम सोई हल्दी घाटी को
जहर पिला कर मजहब का इन कश्मीरी परवानो को
भय और लालच दिखला कर भेज रहे तुम नादानों को
खुले पर्शिक्षण है खुले शस्त्र है, खुली हुई नादानी है
सारी दुनिया जान चुकी ये हरकत पाकिस्तानी है
बहुत हो चुकी मक्कारी, बस बहुत हो चूका हस्ताक्षेप
समझा दो उनका वरना भभक उठे गा पूरा देश
हिन्दू अगर हो गया खड़ा तो त्राहि त्राहि मच जाएगी
पाकिस्तान के हर कोने में महाप्रलय आजायेगी
क्या होगा अंजाम तुम्हे इसका अनुमान नहीं होगा
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा
ये मिसाइल ये एटम बम्ब पर हिम्मत कोन दिखायगा
इन्हें चलाने जन्नत से क्या बाप तुम्हारा आएगा
अबकी चिंता मत कर चहरे का खोल बदल देंगे
इतिहास की क्या हस्ती है सारा भूगोल बदल देंगे
धारा हर मोड़ बदल कर लाहौर से निकलेगी गंगा
इस्लामाबाद की छाती पर लहराएगा तिरंगा
रावलपिंडी और करांची तक सब गारत हो जाएगा
सिन्धु नदी के आर पार सब भारत हो जाएगा
फिर सदियों सदियों तक जिन्नाह जैसा शेतान नहीं होगा
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा
हिन्दू-स्थान ने ली अब एक नई अंगड़ाई है
भारत माँ के चरणों में ये सोगंध हमने खायी है
आज नहीं तो कल हम अखंड भारत बनायेंगे
सिन्धु को फिर दुबारा गंगा से मिलाएँगे
बंग भंग हुआ था, पाप एक इस धरती पर
दुर्गा की भूमि को पुनः आजाद कराएँगे
खैबर पास और हिन्दुकुश भारत की सीमा होगी
चंहु ओर सनातन और केसरिये की जय जय कर होगी
ये स्वपन एक दिन जरुर साकार होगा
पर उस दिन कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा
। । भारत माता की जय। ।
। । अखंड भारत की जय। ।
हम डरते है ताशकंद और शिमला जैसे समझोतों से
सियार भेडिए से डर सकती सिंहो की औलाद नहीं
भरत वंश के इस पानी की है तुमको पहचान नहीं
भीख में लेकर एटम बम्ब को तुम किस बात पे फूल गए
६५, ७१ और ९९ के युधो को शायद तुम भूल गए
तुम याद करो खेतरपाल ने पेटन टैंक जला डाला
गुरु गोबिंद के बाज शेखो ने अमरीकी जेट उड़ा डाला
तुम याद करो गाजी का बेडा एक झटके में ही डूबा दिया
ढाका के जनरल नियाजी को दुद्ध छटी को पिला दिया
तुम याद करो उन ९०००० बंदी पाक जवानो को
तुम याद करो शिमला समझोता और भारत के एहसानों को
पाकिस्तान ये कान खोलकर सुन ले
की अबके जंग छिड़ी तो सुन ले
नमो निशान नहीं होगा
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा
लाल कर दिया तुमने लहू से श्रीनगर की घाटी को
किस गफलत में छेड़ रहे तुम सोई हल्दी घाटी को
जहर पिला कर मजहब का इन कश्मीरी परवानो को
भय और लालच दिखला कर भेज रहे तुम नादानों को
खुले पर्शिक्षण है खुले शस्त्र है, खुली हुई नादानी है
सारी दुनिया जान चुकी ये हरकत पाकिस्तानी है
बहुत हो चुकी मक्कारी, बस बहुत हो चूका हस्ताक्षेप
समझा दो उनका वरना भभक उठे गा पूरा देश
हिन्दू अगर हो गया खड़ा तो त्राहि त्राहि मच जाएगी
पाकिस्तान के हर कोने में महाप्रलय आजायेगी
क्या होगा अंजाम तुम्हे इसका अनुमान नहीं होगा
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा
ये मिसाइल ये एटम बम्ब पर हिम्मत कोन दिखायगा
इन्हें चलाने जन्नत से क्या बाप तुम्हारा आएगा
अबकी चिंता मत कर चहरे का खोल बदल देंगे
इतिहास की क्या हस्ती है सारा भूगोल बदल देंगे
धारा हर मोड़ बदल कर लाहौर से निकलेगी गंगा
इस्लामाबाद की छाती पर लहराएगा तिरंगा
रावलपिंडी और करांची तक सब गारत हो जाएगा
सिन्धु नदी के आर पार सब भारत हो जाएगा
फिर सदियों सदियों तक जिन्नाह जैसा शेतान नहीं होगा
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा
हिन्दू-स्थान ने ली अब एक नई अंगड़ाई है
भारत माँ के चरणों में ये सोगंध हमने खायी है
आज नहीं तो कल हम अखंड भारत बनायेंगे
सिन्धु को फिर दुबारा गंगा से मिलाएँगे
बंग भंग हुआ था, पाप एक इस धरती पर
दुर्गा की भूमि को पुनः आजाद कराएँगे
खैबर पास और हिन्दुकुश भारत की सीमा होगी
चंहु ओर सनातन और केसरिये की जय जय कर होगी
ये स्वपन एक दिन जरुर साकार होगा
पर उस दिन कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा
। । भारत माता की जय। ।
। । अखंड भारत की जय। ।
Subscribe to:
Posts (Atom)