Arjunkotri ( President Bajrang Dal Kotri, )
Bajrang dal kotri
Distict Ajmer ( Rajsthan ) ( India )
Mobile No. 09610502604
Email : bajrangdal.kotri@gmail.com
Formation of Bajrang DalVishva Hindu Parishad decided to start Ram-Janaki Rath yatra for awakening the society on October 1, 1984. There was nothing against other religions but certain anti-Hindu and anti-social elements threatened with dire consequences if Vishva Hindu Parishad organized this Yatra
Monday, 2 December 2013
Bajrang Dal Vrindavan Workshop
हिन्दू धर्म किसी व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित किया गया नहीं है। यह पुराने समय से चले आ रहे अलग-अलग मतों और आस्थाओं से मिलकर बना है। समय के साथ-साथ इस धर्म में ऐसे नए विश्वास और मत जुड़ते गए, जो समय की कसौटी पर खरे थे। इसलिए ही हिन्दू धर्म को एक विकासशील धर्म कहा जाता है। हिन्दू धर्म के मूल तत्वों में सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा और दान मुख्य हैं और इन सबका विशेष महत्त्व है। इसलिए अपने मन, वचन और कर्म से हिंसा से दूर रहने वाले मनुष्य को हिन्दू कहा गया है। हिन्दू धर्म का इतिहास वेदकाल से भी पहले का माना गया है और वेदों की रचना 4500 ई।पू। शुरू हुई। हिन्दू इतिहास ग्रंथ महाभारत और पुराणों में मनु (जिसे धरती का पहला मानव कहा गया है) का उल्लेख किया गया है। पुराणों के अनुसार हिन्दू धर्म सृष्टि के साथ ही पैदा हुआ। पुराना और विशाल होने के चलते इसे ‘सनातन धर्म’ के नाम से भी जाना जाता है।
हिन्दू समाज गायत्री मंत्र को ईश्वर की आराधना के लिए सबसे बड़ा मंत्र मानता है जो इस प्रकार है- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् । (भावानुवाद) ओम् ईश अनादि अनंत हरे । जीवन का आधार स्वयंभू सबमें प्राण भरे । जिसका ध्यान दुखों को हरता दुख से स्वयं परे । विविध रूप जग में व्यापक प्रभु धारण सकल करे । जो उत्पन्न जगत को करके सब ऐश्वर्य भरे । शुद्ध स्वरूप ब्रह्म अविनाशी का मन वरण करे । दिव्य गुणों से आपूरित जो सुख का सृजन करे । वह जगदीश्वर बुद्धि हमारी प्रेरित सुपथ करे ।संसार में हिन्दू धर्म ही ऐसा है जो ईश्वर या परमात्मा को स्त्रीवाचक शब्दों जैसे सरस्वती माता, दुर्गा माता, काली मैया, लक्ष्मी माता से भी संबोधित करता है । वही हमारा पिता है, वही हमारी माता है (त्वमेव माता च पिता त्वमेव) । हम कहते हैं राधे-कृष्ण, सीता-राम अर्थात् स्त्रीवाचक शब्द का प्रयोग पहले । भारतभूमि भारतमाता है । पशुओं में भी गाय गो माता है किन्तु बैल पिता नहीं है । हिन्दुओं में ‘ओम् जय जगदीश हरे’ या ‘ॐ नम: शिवाय’ का जितना उद्घोष होता है उतना ही ‘जय माता की’ का भी । स्त्रीत्व को अत्यधिक आदर प्रदान करना हिन्दू जीवन पद्धति के महत्त्वपूर्ण मूल्यों में से एक है । कहा गया है :- यत्र नार्यस्तु पू..ब्रह्माण्ड का जो भी स्वरूप है वही ब्रह्म का रूप या शरीर है । वह अनादि है, अनन्त है । जैसे प्राण का शरीर में निवास है वैसे ही ब्रह्म का अपने शरीर या ब्रह्माण्ड में निवास है । वह कण-कण में व्याप्त है, अक्षर है, अविनाशी है, अगम है, अगोचर है, शाश्वत है । ब्रह्म के प्रकट होने के चार स्तर हैं - ब्रह्म, ईश्वर, हिरण्यगर्भ एवं विराट (विराज) । भौतिक संसार विराट है, बुद्धि का संसार हिरण्यगर्भ है, मन का संसार श्वर है तथा सर्वव्यापी चेतना का संसार ब्रह्म है । ‘सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म’ अर्थात् ब्रह्म सत्य और अनन्त ज्ञान-स्वरूप है । इस विश्वातीत रूप में वह उपाधियों से रहित होकर निर्गुण ब्रह्म या परब्रह्म कह.
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